नई दिल्ली. एयर इंडिया, बीपीसीएल और कंटेनर कॉर्पोरेशन (कॉनकॉर) का विनिवेश चालू वित्त वर्ष में मुश्किल लग रहा है। डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट्स मैनेजमेंट (दीपम) के एक अधिकारी के मुताबिक जैसे ही प्रक्रिया आगे बढ़ती है, अचानक कोई बाधा आ जाती है। इस वजह से इन कंपनियों के विनिवेश में देरी हो रही है। न्यूज एजेंसी ने गुरुवार को यह रिपोर्ट दी।
सरकार 2 साल से एयर इंडिया को बेचने की कोशिश में जुटी है
सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से 1.05 लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन सितंबर तक सिर्फ 12 हजार 359 करोड़ जुटा पाई। बीपीसीएल की पूरी 53% हिस्सेदारी बेचने से ही 60 हजार करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है, लेकिन मार्च के आखिर तक विनिवेश पूरा होना संभव नहीं लग रहा।
सरकार दो साल से एयर इंडिया के विनिवेश की कोशिश में जुटी है। 2018 में कोई खरीदार नहीं मिला, इसलिए 2019 में बोली की शर्तें आसान की गईं। हालांकि, अभी तक निविदा जारी नहीं की गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस पर काम चल रहा है, लेकिन एसेट्स और देनदारियों के आकलन में दिक्कतें आ रही हैं।
सरकार ने नवंबर में 5 कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने की योजना का ऐलान भी किया था। इनमें बीपीसीएल, शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन और नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन शामिल हैं। कंटेनर कॉर्पोरेशन में शेयर बिक्री से 10,800 करोड़ रुपए और शिपिंग कॉर्पोरेशन में विनिवेश से 2,000 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है।